ये नापती हैं आकाश की ऊंचाई... 40 साल की अर्चना सरदाना देश की पहली सिविलियन महिला स्कूबा डाइवर, बेस जंपर और स्काई डाइवर हैं। वे लॉस एंजिलिस में इसका कोर्स करने गई थीं। इसके लिए उन्हें गहने बेचने पड़े, पति को घर गिरवी रखना पड़ा। कोर्स पूरा करने के बाद उन्होंने 201th जंप तिरंगे के साथ पूरा किया। ऐसा करने वाली वे पहली भारतीय महिला बनीं।
>नई दिल्ली. दुनिया में 107 देश ऐसे हैं, जहां महिलाएं हमारे मुकाबले बेहतर हालात में हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, 145 देशों की लिस्ट में भारत 108th नंबर पर है। पिछले 50 साल में 21 साल हमारी राष्ट्र प्रमुख महिला रही हैं। अभी केंद्र में 23 में से 6 मंत्री महिला हैं। फिर भी इंटरनेशनल लेवल पर देश की इमेज अच्छी नहीं दिखती। वर्ल्ड रिपोर्ट्स में भारत के बारे में पूरी जानकारी भी नहीं मिलती। हमारी रिपोर्ट भी यूनाइटेड नेशंस के पैमानों पर चलती हैं, जिससे कम्पेरिटिव स्टडी मुश्किल हो जाती है। >जानिए कैसी है भारतीय महिलाओं की स्थिति...
>भारत में प्रेग्नेंट वुमन के लिए डॉक्टरों की कमी, चीन सबसे आगे
- इलाज की सुविधाओं में विकसित देशों की तुलना में भारत अब भी काफी पीछे है। यहां अब भी सभी गर्भवती महिलाओं के लिए समय पर प्रशिक्षित प्रोफेशनल या डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
>दुनिया की तुलना में 6 गुना कम सैलरी है भारतीय महिलाओं की
महिलाओं की आय पुरुषों की तुलना में तो कम है ही, भारतीय महिलाएं इस मामले में कई देशों की महिलाओं से पिछड़ी हुई हैं। संपत्ति में अधिकार देने के मामले में भी भारत की छवि अच्छी नहीं है।
>दक्षिण भारतीय महिलाएं ज्यादातर मामलों में आगे
देश-विदेश के आंकड़ों की ही तरह देश में राज्य स्तर पर आंकड़ों में काफी अंतर है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में प्रति 1000 पुरुष पर 943 महिला का लिंगानुपात है। इसमें सिर्फ पांडीचेरी और केरल ही ऐसे राज्य हैं, जहां महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है।
सबसे खराब स्थिति हरियाणा में है, जहां प्रति 1000 पुरुष 834 महिलाएं हैं। भारत सरकार के सांखियकी और कार्यक्रम कार्यन्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अध्ययन से यह बात सामने आती है कि दक्षिण भारतीय राज्यों में देश के दूसरे हिस्सों की तुलना में महिलाओं की स्थिति बेहतर है। इसका बड़ा कारण यहां की साक्षरता दर अच्छी होना है। हालांकि पूरे देश में स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है
बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में शिक्षित महिलाओं की संख्या बढ़ाना अब भी चुनौती है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में भी कमी नहीं हो रही है और करीब 31 फीसदी मामलों का निपटारा नहीं हो पाता। खासतौर पर खुदकुशी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। वर्ष 2014 मे प्रति एक लाख जनसंख्या पर 10 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी महिलाएं पीछे हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाएं हेल्थ वर्कर 34% ही हैं। राज्यवार आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करने पर और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं।
>आगे की स्लाइड्स में पढ़ें अन्य फैक्ट्स...
No comments:
Post a Comment